बुलबुले : 😑
◆बुलबुले◆
तुम ना ,
सच्ची किसी बुलबुले से थे ,
और
बुलबुले कहाँ ठहरा करते हैं ।
पल में रूठना ,
पल में मानना ,
खुद ही उलझना ,
और
खुद से ही सुलझना ।
मेरे बुलाने पे ना आना ,
और
कभी बिन कहे ही आ जाना ।
जिद्द करना तुम्हारा ,
और
उस पे शांत रहना हमारा ।
फिर तुम्हारे नखरे भी उठाना ,
और
हर घड़ी तुम्हें बहलाना ।
बच्चों सी थी बातें तुम्हारी ,
मेरे इशारों को ,
वो तुम्हारा ना समझना ,
और
कभी पल भर में ही समझकर ,
साथ खिलखिलाना ।
बुलबुले कहाँ एक जगह ठहरते हैं ,
वो गोल सा बन उड़ जाते हैं ,
मदमस्त हवाओं में ,
आसमानों में कभी अपना घर बनाने ,
करने को अठखेलियां ,
ये बुलबुले ना ,
नुका-छुपी करते हैं बहुत ।
ठहराव नहीं इन बुलबुलों में ,
जैसे याद हैं ,
तुम करते थे मुझसे छिप कर ।
ठीक वैसे ही तुम भी ना ठहरे ,
क्योंकि तुम ना ,
सच्ची किसी बुलबुले से थे ,
और
बुलबुले कहाँ ठहरा करते हैं ।
@krishna
#sksmedics
#krishnasinghrajputji
Nice lines
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