बुलबुले : 😑

बुलबुले


तुम ना ,

सच्ची किसी बुलबुले से थे ,

और 

बुलबुले कहाँ ठहरा करते हैं ।


पल में रूठना , 

पल में मानना ,

खुद ही उलझना ,

और 

खुद से ही सुलझना ।


मेरे बुलाने पे ना आना ,

और 

कभी बिन कहे ही आ जाना ।


जिद्द करना तुम्हारा ,

और 

उस पे शांत रहना हमारा ।


फिर तुम्हारे नखरे भी उठाना ,

और 

हर घड़ी तुम्हें बहलाना ।


बच्चों सी थी बातें तुम्हारी ,

मेरे इशारों को ,

वो तुम्हारा ना समझना ,

और 

कभी पल भर में ही समझकर ,

साथ खिलखिलाना ।


बुलबुले कहाँ एक जगह ठहरते हैं ,

वो गोल सा बन उड़ जाते हैं ,

मदमस्त हवाओं में ,

आसमानों में कभी अपना घर बनाने ,

करने को अठखेलियां ,

ये बुलबुले ना ,

नुका-छुपी करते हैं बहुत ।


ठहराव नहीं इन बुलबुलों में ,

जैसे याद हैं , 

तुम करते थे मुझसे छिप कर ।


ठीक वैसे ही तुम भी ना ठहरे ,

क्योंकि तुम ना ,

सच्ची किसी बुलबुले से थे ,

और 

बुलबुले कहाँ ठहरा करते हैं ।





















@krishna

#sksmedics

#krishnasinghrajputji

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