फूल हरसिंगार के! ❤️❤️ By :- KRISHNA SINGH RAJPUT JI




 रूप निश्चल प्यार के,

फूल हरसिंगार के!


रात भर बरसे जो मन की देह पर

प्रेम की मैं चिर जयंती हो गयी

श्वेतवर्णा मैं दुपट्टा ओढ़कर

ख़ुशबुओं जैसी अनंती हो गयी


मायने अभिसार के,

फूल हरसिंगार के!


जल रही है बल्ब वाली रौशनी

किंतु मैं रौशन हूँ इसके रूप से

पत्तियों की लोरियाँ सुन हो गयी

दूर पीड़ाओं की निर्मम धूप से


गीत हैं मल्हार के,

फूल हरसिंगार के!


भोर होते ही लगा है घास पर

क्रोशिये के बुन गए रूमाल हैं

सर्दियों का आगमन ये कह रहा

ये मेरी प्यारी धरा की शॉल हैं


वर हैं ज्यों उस पार के,

फूल हरसिंगार के!





~कृष्णकांत🌿 @krishnasinghrajputji #sksmedics



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