Zindgi bhi kaha thamti hai ...
जिंदगी भी कहाँ थमती है, किसी एक के चले जाने से,
चंद दिन आँसुओ में लिपट, खुद को समझा लेते हैं हम,
याद आए तो कभी मुस्कुरा, कभी अश्क छलका देते है हम,
बीतें लम्हों का एक संग्राहिक बना लेते है हम,
हाँ! खुद को समझा लेते है हम,
सबकी बातों को सुन बस
ताज्जुब होता है तब,
चले जाने के बाद हर इंसान को
अच्छा मान लेते है सब,
सहानुभूति के साथ अपनी
कहानियाँ बता जाते है जब,
न चाहते हुयें भी दर्द बहुत
गहरा लगता है तब,
हाँ ! पर अब खुद को समझा लेते
है हम....
@krishna
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