Dekho , Tum Laut Aana ❤️
देखो,
तुम लौट आना।
जब बारिश की आखिरी बूंद,
आसमान पोंछ चुकी हो।
जब बल खा कर चली पुरवाई,
रूठ कर लौट जाए अपने घर।
जब मिट्टी में दफ़्न छोटे दाने,
अंगड़ाईयाँ लेते हुए अँकुराने लगे।
तुम लौट आना।
जब दिन अपना लजाया चेहरा,
रात की ज़ुल्फ़ों की आड़ में छिपा ले।
जब हज़ारों टिमटिमाते जुगनू,
रात की ज़ुल्फ़ों में डेरा बना लें।
जब रात, अपने ज़ुल्फ़ों में सजाए हुए,
एक सफेद फूल, खूब इठलाती फिरे।
तुम लौट आना।
जब एक धीमा मद्धम उदास संगीत ,
बन्द खिड़कियों से धीमे धीमे रिसने लगे।
जब चिराग़, ले अलसाई अंगड़ाई,
हौले हौले हर कोने में जाग उठें।
जब मेरी देहरी का टिमटिमाता दीया,
रोशन करना चाहे तुम्हारे लौटने की राह।
तुम लौट आना।
जब बादलों से झांकने लगे,
तेज़ सुफ़ेद रौशनी की चादर।
जब आँखों मे एक एक कर,
जम जाएँ आँसुओं की कई परतें।
जब तंग आ कर तन्हाईयों से,
नमी लिए गूँज जाए एक सदा।
तुम लौट आना,
देखो,
तुम लौट आना।
तुम्हारा कृषु ( krishna)
@krishna
©™ Krishna
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