❤️ऐ महबूब! जरा तुम जल्दी आना❤️

 

❤️ऐ महबूब!  जरा तुम जल्दी आना ❤️

😥



वादा जो तुम्हारा था

अज़ल तक साथ चलने का

जो तुमने कह रखा था हमसे

दोबारा फिर से मिलने को

तो लो हम हैं उसी जगह जहाँ पर

अब तक दोनों मिलते थे

दिन, महीने, साल बीत रहे

तुम आयी नहीं अब तक क्यों!

क्या तुम फिर से भूल गयी हो

वादा जो तुम्हारा था

हर वादे को निभाने का

जो तुमने कह रखा था हमसे

हाथ पकड़ कर चलने को

ग़र याद है अब तक तुमको तो

ऐ! महबूब जरा तुम जल्दी आना

हम वक्त की चोट से घायल हैं

शायद अज़ल तक चल न पाये

अपनी हयात का सारा हिस्सा

हम तुमको दे कर जायेंगे

अब अजल तो आयेगी एक दिन लेकिन

तुमने मिलने का अफ़सोस न हो

तुम आयी नहीं अब तक क्यों!

क्या तुम फिर से भूल गयी हो

वादा जो तुम्हारा था

मिल कर गले लगाने का

जो तुमने कह रखा था हमसे

साथ हमारे जीने को...

ग़र याद है तुमको अब तक तो

ऐ! महबूब जरा तुम जल्दी आना

वक्त जरा-सा कम ही है... ❤


(अज़ल- अनन्त/ हयात- जीवन/ अजल- मृत्यु)



रचनाकार :- स्वयं मैं 

@krishna @sksmedis

Facebook

Comments

Popular posts from this blog

इस सफेद वर्दी पर दाग बहुत है, @kk singh

स्त्री होना क्या होता है ??...❣️🇮🇳