सामाजिक परिघटना का यथार्थ

 Writter :- स्वयं मैं  -

( सामाजिक परिघटना का याथार्थ)

मरहम के नीचे घाव है,

किसको यहाँ पता।

आज तक समझ न पाया,

किसको किससे खता।।


बराबर चल रहे थे यहाँ ,

एक दूसरे से बात।

किसे,कब कौन छोड़ दे,

एक दूसरे का साथ ।।

         


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