अर्धनिर्मित
यहां कोई मित्र नहीं है. कोई आश्वस्त चरित्र नहीं है
सब अर्धनिर्मित हैं
अर्धनिर्मित इमारतें हैं, अर्धनिर्मित बच्चों की शरारतें हैं
अर्धनिर्मित ज़िंदगी की शर्ते हैं
अर्धनिर्मित जीवन पाने के लिए लोग रोज़ यहां मरते हैं
हम रोज़ एक अर्धनिर्मित शय्या पर एक अर्धनिर्मित सा सपना देखते हैं
उस सपने में हम अपनी अर्धनिर्मित आकांक्षाओं को आसमानों में फेंकते हैं
आसमान को भी इन आकांक्षाओं को समेटकर अर्धनिर्मित होने का एहसास होता होगा
क्योंकि यह आकांक्षाएं हमारी नहीं आसमान की हैं
बिलकुल वैसे ही जैसे यह अर्धनिर्मित गाथा तुम्हारी है और कृष्णा की है..
Krishna singh rajput ji
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